रंगों का त्यौहार होली एक ऐसा पर्व है जो भारत के कोने – कोने में मनाया जाता है, यह एक ऐसा त्यौहार है जो हर साल उन लोगो को याद दिलाता है जो कुकर्म करते हैं, कहते हैं मुझसे बड़ा कोई नहीं, अर्थात ये त्यौहार हमें एक सबक देता है, कि बुराई पे अच्छाई की जीत निश्चित है,
अबकी बार होली में रंगों का बौछार होने वाला है तो चलिये आपको होली से जुड़े कुछ बातें और इसकी कहानी कि कैसे इसकी शुरुवात हुई?
होली बसंत ऋतू के फागुन मॉस में मनाया जाता है आपको बता दें की होली सिर्फ भारत में नहीं बल्कि नेपाल में भी बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है, आइये जानते हैं की होली क्यों मनाई जाती है ? चलिये कहानी पर आते हैं, आपने हिरनकश्यप का नाम तो सुना होगा वो एक बहुत ही अहंकारी और घमंडी असुर था, वो कुकुर्मी और अत्याचारी था, लोगों पर दया नहीं करता था, लकिन उसका पुत्र प्रहलाद भगवान् विष्णु का भक्त था वो सच्चाई पर चलता था तथा भगवान विष्णु की पूजा करता था,
जो उसके पिता को अच्छा नहीं लगता था उसने अपने ही पुत्र प्रहलाद को जान से मारने को योजना बनाई जिसमे वह कई बार विफल हुआ और अंततः उसने अपनी बहन होलिका को बुलाया जो आग में नहीं जलती थी उसे वरदान था की वह आग में नहीं जलेगी
इसलिए हिरनकश्यप ने योजना बनाकर अपनी बहन होलिका के साथ प्रहलाद को आग की शैया पर बैठा दिया और आग लगा दी गयी प्रहलाद तो नहीं जले लकिन होलिका जाल कर राख हो गयी
और ऐसे ही कई प्रयासों के बाद भागवान विष्णु ने नरसिंह का रूप लेकर हिरण्यकश्यप का वध कर दिया जिससे यह साबित हो गया की बुराई पे अच्छाई की जीत होती है इसीलिए लोग आज भी होलिका जलाते हैं और धूम धाम से होली का पर्व मानते हैं.
Manish Sisedia and Waqar Choudhary Holi Celebrationवैसे ये कहानी इतनी बड़ी है की इसके लिए एक पूरा टॉपिक ही है, लकिन मैंने इस कहानी को short में कवर किया है. आप इसकी पूरी कहानी को और इसके बारे में Wikipedia पर पढ़ सकते हैं